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* COVID-19 *  

सवाल :कोरोना महामारी के समय में आशा की किरण क्या है ?


जवाब:-


नमस्कार दोस्तों🙏🙏


इस सवाल का मैं जो जवाब दे रहा हूं वह वर्तमान आम धारणा से थोड़ा विपरीत है, तो हो सकता है कि ज्यादातर लोगों को यह पसंद ना आए या मुझ से सहमत ना हो परंतु फिर भी मैं अपने विचार साझा करना चाहूंगा।


सबसे पहले तो मैं यही कहना चाहूंगा कि "हम ईश्वर में विश्वास का केवल दिखावा ही करते हैं वास्तव में हमें ईश्वर पर सच्चा विश्वास नहीं है।" 😣😣😣


यह बात विभिन्न वैज्ञानिक प्रयोगों से सिद्ध हो चुकी है कि वायरस और अन्य सूक्ष्मजीव इंसान की उत्पत्ति से पहले ही इस धरती पर मौजूद थे, तो हमारे रचनाकार या ईश्वर जब इंसानी शरीर की रचना कर रहे थे, तो उनको भी इस बात का पता था कि धरती पर मौजूद सूक्ष्मजीव या वायरस इंसानी शरीर को नुकसान पहुंचा सकते हैं । तो क्या ईश्वर ने इंसानी शरीर में वायरसों को रोकने की व्यवस्था नहीं की होगी?


जिस इंसानी शरीर को अभी प्रयोगशाला में बनाने में हम इंसानों को हजारों साल भी लग सकते हैं उस विलक्षण इंसानी शरीर में छोटे से वायरस को रोकने की प्रभावी क्षमता नहीं होगी, यह सोचना ईश्वर की दक्षता पर अविश्वास या कहें, हमारी मूर्खता होगी। 🙏🙏🙏


आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि मनुष्य के शरीर के अंदर व आसपास के वातावरण में हर समय लाखों करोड़ों की संख्या में सूक्ष्मजीव मौजूद रहते हैं जिनमें वायरस भी है। ये सूक्ष्मजीव हर समय हमारी सांसों के साथ शरीर में जाते है। फिर भी हम बीमार नही पडते है। क्यों?


" अब तक 219 ऐसी वायरस प्रजातियां खोज ली गई है जो मनुष्यों को प्रभावित करती है और हर वर्ष 3-4 नई प्रजातियां सामने आ रही है "


अर्थात आने वाले समय में हमें कई नए वायरसों का सामना करना पड़ सकता है।🙄🙄🙄


तो पहले से मौजूद वायरसों से हम बीमार क्यों नहीं पडते, और नये वायरस हमारे लिए खतरनाक क्यों है ?🤔🤔🤔


क्योंकि यह सभी पुराने वायरस पूरे विश्व में फैल चुके हैं जिससे अधिकतर इंसान इनके संपर्क में आ चुके हैं और एक बार किसी के शरीर में वायरस प्रविष्ठ हो जाये तो उसके शरीर में इसकी एंटीबॉडी बन जाती है। क्योंकि मानव शरीर पर जब किसी वायरस का अटेक होता है तो हमारा प्रतिरोधी तंत्र उस वायरस को पहचान कर उसको खत्म करने के लिये उसकी एंटीबॉडी बना लेता है । अर्थात वायरस एक ऐसी चीज है जिसको पहचान कर नष्ट करने की क्षमता सिर्फ और सिर्फ एक ही स्थान पर है, और वह है हमारा शरीर । जो दवाई कोई वैज्ञानिक नहीं बना पा रहा है उसे हमारा शरीर बनाने में सक्षम है और फिर भी हम डर रहे हैं क्यों?"


हमारी हालत इस समय कस्तुरी मृग जैसी हो गई है। जैसे कस्तुरी मृग अपनी ही नाभि में छुपी हुई कस्तुरी की गंध को बाहर चारों तरफ ढूंढता फिरता है, उसी प्रकार इलाज हमारे खुद के पास होने के बाद भी हम बाहर के इलाज के इन्तजार में है ।😇😇😇


किसी भी वायरस का संक्रमण जब किसी व्यक्ति पर होता है, तो संक्रमण शुरू होते ही उसका प्रतिरक्षा तंत्र उस वायरस की एंटीबॉडी शरीर में ढूंढता है । यदि उस वायरस का उसके शरीर में पूर्व में संक्रमण हो चुका है तो उसकी एंटीबॉडी का कोड शरीर में सुरक्षित रहता है, और उस स्थिति में शरीर में घुसने वाले वायरसों की संख्या को नियंत्रित करने के लिये आवश्यक एंटीबॉडी का निर्माण तुरंत शुरू हो जाता है और वायरसों की संख्या बढने से पहले ही खत्म कर दिये जाते है । जिससे वायरस शरीर को नुकसान नहीं पहुंचा पाते है। इसलिए पूर्व में संक्रमित हो चुके किसी वायरस के शरीर में प्रवेश करने से हम बीमार नहीं पड़ते हैं ।


परंतु जब वायरस हमारे शरीर के लिए नया होता है तो शरीर को उस वायरस की संरचनात्मक स्थिति को समझकर उसके अनुसार एंटीबॉडी बनाने में एक से तीन दिन लग जाते हैं और यह उस व्यक्ति की इम्युनिटी पर भी निर्भर करता है। इस बीच वह वायरस अपनी संख्या शरीर में बढा लेता है और हमारे शरीर को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देता है। हमारा प्रतिरोधी तंत्र एंटीबॉडी बनाकर और उनका उत्पादन शुरू करके लगभग 3 से 7 दिन में वायरसों का शरीर से खात्मा कर देता है। परन्तु इस अवधि में हमारे शरीर का जो नुकसान होता है वह कितना हुआ है इसी पर आगे के जीवन की स्थिति निर्भर करती है । अब इसमें कई स्थितियां बनती है जैसे -


यदि जिस व्यक्ति को संक्रमण हुआ है वह एक सामान्य स्वस्थ व्यक्ति है और संक्रमण भी हल्का यानि शरीर के अंदर जाने वाले वायरसों की संख्या काफी कम है तो उस व्यक्ति को थोड़ा सा सर्दी जुकाम, हल्का सा बुखार, गले में खराश इत्यादि होगा परंतु क्योंकि उसकी इम्यूनिटी अच्छी है तो 3 दिन में शरीर वायरसों को नई एंटीबॉडी बनाकर खत्म कर देता है । इस बीच में एक स्वस्थ शरीर को बहुत कम नुकसान होता है क्योंकि शुरू के संक्रमण में वायरसों की संख्या कम थी । इसलिए मनुष्य का शरीर अंदर से ज्यादा क्षतिग्रस्त नहीं होता है और वह व्यक्ति 3 से 7 दिन में वापस पूर्ण स्वस्थ्य हो जाता है।


परंतु अब उसे एक फायदा हो जाता है कि अगर उस पर इसी वायरस का अटेक दोबारा होता है तो वह बीमार नहीं पड़ेगा क्योंकि उसके शरीर में इसकी एंटीबॉडी बन चुकी है।☺☺☺


दूसरी स्थिति- यदि संक्रमण की मात्रा ज्यादा है यानि वायरस ज्यादा संख्या में शरीर में प्रवेश कर चुके हैं, या जिस व्यक्ति पर संक्रमण हुआ है वह पहले से ही किसी अन्य गंभीर बीमारी से ग्रस्त है जिससे उसकी इम्यूनिटी कमजोर होती है तो वायरस की एंटीबॉडी तैयार होने में शरीर को थोडा अधिक समय लगता है। वायरस का खात्मा करने में अधिक समय लगने से उसका शरीर वायरसों के खत्म होते-होते अन्दर से काफी क्षतिग्रस्त हो चुका होता है और यदि समुचित चिकित्सा सुविधा ना मिले तो जीवन खतरे में पड़ सकता है। परंतु चिकित्सा सुविधा मिलने पर ज्यादा खतरनाक स्थिति नहीं होती है।


दवाई - वैज्ञानिक जो वैक्सीन बनाने की बात कर रहे हैं वो और कुछ नहीं इसी वायरस का कमजोर रूप है जिससे किसी इंसान को नियंत्रित मात्रा में बहुत हल्का संक्रमित किया जाता है इस संक्रमण से शरीर को ज्यादा नुकसान नहीं होता और शरीर उसकी एंटीबॉडी बना लेता है और व्यक्ति वायरस के प्रति प्रतिरोधी हो जाता है । (जैसे पोलियों की वैक्सीन) तो कुल मिलाकर वायरस को खत्म करने की दवा किसके पास है ? हमारे खुद के शरीर के पास।


तो हम क्या करें? 😶😶😶


किसी भी नए वायरस से डरने की आवश्यकता नहीं है बात केवल कोरोनावायरस की ही नहीं है कोई भी वायरस किसी भी इंसानी शरीर के लिए नया हो सकता है, यदि वह इंसान उस वायरस से पूर्व में कभी भी संक्रमित नहीं हुआ है तो वह वायरस उस इंसान के लिए नए कोरोनावायरस की तरह ही व्यवहार करेगा ।


इसलिए जब आप किसी नए वायरस से हल्के संक्रमित होते हैं तो आपको सर्दी जुकाम से संबंधित साधारण लक्षण जैसे जुकाम, हल्का बुखार, गले में खराश, सिर दर्द इत्यादि दिखाई देंगे, ये सभी लक्षण शरीर द्वारा वायरस को रोकने व शरीर में हुए संक्रमण को कम करने के लिये किये गये उपाय है। इलाज आपको कुछ नही करना है क्योंकि इसका इलाज खुद शरीर ही कर सकता है । शरीर को इसके लिये कुछ समय और आपके सहयोग की आवश्यकता है। बस आपको अपने शरीर का सहयोग करना है और ध्यान रखना है कैसे


1. हो सके जितना आराम करना है । 😎😎😎


2. पेट लगभग खाली रहना चाहिए मतलब जो भी खाएं हल्का-फुल्का खाएं और गरिष्ठ भोजन से दूर रहे। वैसे भी जुकाम की स्थिति में हल्का बुखार होने से भूख कम हो जाती है। इसलिये जबरदस्ती न खायें। ज्यादातर पेय पदार्थ लें और जो भी चीज खाए-पिए वह थोड़ा गर्म हो तो अच्छा है । सलाद और फ्रूट ज्यादा लें और कुछ नहीं तो कम से कम बार-बार गुनगुना पानी पीते रहें।


3. शरीर में दर्द व बुखार होने पर केवल पेरासिटामोल ली जा सकती है जिससे शरीर में आराम रहेगा । अन्य कोई भी जुकाम या खांसी रोकने की दवा न ले तो अच्छा रहेगा क्योकि ये दवाइयां वायरस का कोई इलाज नही कर सकती है, परन्तु आपकी समस्या को और ज्यादा बढा सकती है। जुकाम की ज्यादातर दवाइया शरीर की कार्यविधि के विपरीत कार्य करती है जैसे शरीर नाक बहाकर वायरसों को बाहर निकलना चाहता है और हम जुकाम की दवाई लेकर नाक बहने को रोक देते हैं जिससे सारा कफ फेफडों पर जम जाता है। बाद में शरीर खांसी द्वारा इस जमें हुए कफ को बाहर निकलता चाहता है ओर हम खांसी की दवाई लेकर इसे भी बन्द कर देते है और ये सारा जहर शरीर में ही रहकर अन्य बीमारीयों जैसे फेफडों की सूजन, दमा इत्यादि को जन्म देता है। तो आप कोई इलाज न करें तो बेहतर रहेगा।🤗🤗🤗


फिर भी शरीर को आराम देने के लिये व इम्युनिटी बढाने के लिये आप कुछ निरापद आयुर्वेदिक व घरेलू उपाय जैसे काली मिर्च, तुलसी व अदरक की चाय पीना, नमक के गरारे करना, फेफडों पर जमें कफ को जल्दी निकालने के लिये भाप लेना, छाती की नम व गर्म सेक इत्यादि कर सकते है।


और सबसे महत्वपूर्ण बात ! समाचार चैनलों और सोशल मीडिया पर आने वाली नकारात्मक खबरों से दूर रहें। क्योकि ये लोग समाचारों के नाम पर डर पैदा कर रहे है। मन में भगवान पर सच्चा विश्वास रखें। आप जल्द ठीक होने वाले है।


किसी भी प्रकार से डरने की कोई आवश्यकता नहीं है । 95% मामलों में व्यक्ति खुद ही घर पर ठीक हो सकता है । स्थिति अधिक खराब होने पर ही चिकित्सा सुविधा की आवश्यकता होती है।


यहां सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण एक ही बात है और वो है संक्रमण की मात्रा। शरीर में संक्रमण की मात्रा ज्यादा न हो इसके लिये साफ सफाई से रहने के अलावा आप सुरक्षा उपायों का प्रयोग कर सकते हैं जैसे हाथों को साबुन से धोना, ज्यादा भीड़ भाड़ में जाने से बचना, मास्क व दस्ताने पहनना इत्यादि।


और यदि आपको हल्का संक्रमण होता है तो एक तरह से अच्छा ही है कि आप बिना ज्यादा बीमार हुए इस वायरस के प्रति प्रतिरोधी हो चुके हैं ।


वैसे भी यह वायरस लगभग सभी जगह फैल चुका है तो धीरे धीरे चाहे या बिना चाहे लोग इससे संक्रमित होते रहेंगे और उन्हें प्रतिरोधी क्षमता प्राप्त हो जाएगी । यदि हमारे शरीर में प्रवेश करने वाले वायरसों की संख्या अति न्यून होगी तो हमें बिना पता लगे भी हम इस वायरस के प्रति प्रतिरोधी हो सकते हैं । और जिन लोगों को एक बार प्रतिरोधी क्षमता मिल चुकी है वह दोबारा कोरोना से बीमार नहीं पड़ेंगे।


"जब तक वायरस शरीर के अंदर नहीं जाएगा तब तक उसकी एंटीबॉडी बनना भी संभव नहीं है ।"


तो इस वायरस की वैक्सीन क्या है ?


"एक बहुत हल्का सा संक्रमण "


और हमने वेक्सीन की खोज में दुनिया भर के वैज्ञानिकों को लगा रखा है।🤔🤔🤔


और इसी प्रकार हम भविष्य में भी आने वाले नए वायरसों से भी आसानी से निपट सकते हैं। बस डरना नहीं है, और ईश्वर व उसकी रचना पर सच्चा विश्वास रखना है।


फिर हमारे लिए कोरोनावायरस या अन्य कोई नया वायरस डरावना नहीं होगा।


ईश्वर आपको ईश्वर पर सच्चा विश्वास करने की शक्ति दें! 🙏🙏🙏

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