7वां अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस कुछ इस तरह से मनाया जाएगा । जानिए क्या खास है इस बार योग दिवस पर ।
सभी को पता है कि कोरोना महामारी से सारी दुनिया किस तरह त्रस्त है, बड़ी संख्या में लोग इसकी चपेट में आकर अपनी जान गंवा चुके हैं । कोरोना वैक्सीन को ही इस महामारी के खिलाफ एकमात्र हथियार बताया जा रहा है । आप योग करके व आयुर्वेदिक औषधियों तथा तत्त्वों से यानि काढ़ा वगैराह से किस तरह अपनी रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा सकते हैं। आईए जानिए इस लेख के माध्यम से ।
“योगश्चित्तवृत्तिनिरोध:” चित्त की वृत्तियों को रोकना ही योग है। 2014 में अलग से आयुष मंत्रालय बनाकर स्वास्थ्य सेवाओं में आयुर्वेद के साथ योग और अन्य पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों को एकीकृत करने की पहल और भारत के प्रयासों की वजह से दुनिया में 21 जून 2015 से अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की शुरुआत हुई। उसी का नतीजा है कि अचानक आई कोविड की आपदा के दौर में भी उपचार (Cure) से ज्यादा रोकथाम (Prevention) पर आधारित भारत की प्राचीनतम और समृद्ध परंपरा के रूप में योग बचाव का अहम साधन बना और दुनिया को भी इस ताकत का अहसास कराया। समग्रता में स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से बचाने में अहम योग की इस अपनी सभ्यता की पहचान का प्रणेता बना भारत...
आम हो या खास, युवा हो या बुजुर्ग, महिला हो या बच्चे, आस्तिक हो या नास्तिक,‘योग’ आज सभी उम्र के लोगों के शरीर, ऊर्जा, मस्तिष्क और मनोभाव की पहचान बन गया है। धर्म, संप्रदाय, जाति, अमीर-गरीब, देशों को अलग करने वाली सीमा रेखा के पार समूचेविश्व की एक भाषा बन गया है। योग की इसी विशेषता पर संस्कृत के महान कवि भर्तृहरि ने सदियों पहले अपने शतकत्रयम् में लिखा था- धैर्यं यस्य पिता क्षमा च जननी शान्तिश्चिरं गेहिनी सत्यं सूनुरयं दया च भगिनी भ्राता मनः संयमः। शय्या भूमितलं दिशोSपि वसनं ज्ञानामृतं भोजनं एते यस्य कुटिम्बिनः वद सखे कस्माद् भयं योगिनः।। सदियों पहले कही गई इस बात का सीधा-सीधा मतलब है कि नियमित योगाभ्यास करने पर कुछ अच्छे गुण सगे-सम्बन्धियों और मित्रों की तरह हो जाते हैं। योग करने से साहस पैदा होता है जो सदा ही पिता की तरह हमारी रक्षा करता है। क्षमा का भाव उत्पन्न होता है जैसा मां का अपने बच्चों के लिए होता है और मानसिक शांति हमारी स्थायी मित्र बन जाती है। भर्तृहरि ने कहा है कि नियमित योग करने से सत्य हमारी संतान, दया हमारी बहन, आत्मसंयम हमारा भाई, स्वयं धरती हमारा बिस्तर और ज्ञान हमारी भूख मिटाने वाला बन जाता है। जब इतने सारेगुण किसी के साथी बन जाएं तो योगी सभी प्रकार के भय पर विजय प्राप्त कर लेता है। दरअसल मुफ्त में कहीं भी स्वास्थ्य बीमा नहीं होता है, लेकिन योग स्वास्थ्य की एकमात्र ऐसी गारंटी है जो जीरो बजट में स्वास्थ्य का भरोसा देता है। कोविड महामारी के इस दौर में योग की महत्ता पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ये शब्द इसे और अधिक स्पष्ट करते हैं, “इस शताब्दी में हम अनुभव कर रहे हैं कि योग नेविश्व को जोड़ दिया है। जैसे योग शरीर, मन, बुद्धि आत्मा को जोड़ता है, वैसे ही योग आज विश्व को भी जोड़ रहा है। हर कोई चाहता है कि तनाव मुक्त जीवन हो, बीमारी से मुक्त जीवन हो, प्रसन्न जीवन हो, इन सबको किसी एक मार्ग से पाया जा सकता है तो वह मार्ग है योग का। एक संपूर्ण जीवन को संतुलित रूप में कैसेजिया जा सकता है। तन से मन सेविचारों से आचारों सेस्वस्थ होने की अंतर्यात्रा कैसे चले वह अनुभव करना है तो योग के माध्यम से हो सकता है।” योग गुरु के. पट्टाभि के मुताबिक भी योग सच्चा आत्मज्ञान है, एक आंतरिक सफाई है। यह ऐसा विज्ञान है जो न सिर्फ सेहत के लिए फायदेमंद है, बल्कि समाज को एकसूत्र में बांधने में भी सहायक साबित हो रहा है।
योग केवल व्यायाम नहीं है, बल्कि स्वयं के साथ, विश्व और प्रकृति के साथ एकत्व खोजने का भाव है। योग हमारी जीवन शैली में परिवर्तन लाकर हमारे अंदर जागरुकता उत्पन्न करता है तथा प्राकृतिक परिवर्तनों से शरीर में होने वाले बदलावों को सहन करने में सहायक हो सकता है। प्रधानमंत्री बनने के महज चार महीने के भीतर नरेंद्र मोदी ने 27 सितंबर 2014 को योग को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर पहचान दिलाने की पहल करते हुए जो संदेश दिया, उसकी अहमियत कोविड महामारी के दौर में इतनी बढ़ जाएगी शायद ही किसी ने कल्पना की होगी। यही वजह है कि भारत ने दुनिया को योग की शक्ति दी तो कोविड काल में शायद ही दुनिया के कोई ऐसे राष्ट्राध्यक्ष होंगे, जिन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से बातचीत में योग से कोविड पर जीत के उपायों के बारे में जिक्र नहीं किया होगा। इसलिए बीते साल वर्चुअल मनाए गए योग दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री ने खासतौर से कहा भी, ‘‘हमें जोड़े, साथ लाए और दूरियों को खत्म करे वही तो योग है।’’ उनका कहना था कि योग न सिर्फ विश्व बंधुत्व का संदेश देता है, बल्कि दूरियों को खत्म कर सबको साथ लाने और जोड़ने का अचूक जरिया है। अगर योग की महत्ता आज दुनिया भर में इतनी बढ़ी है तो उसमें भारत और प्रधानमंत्री मोदी के 2014 सेकिए गए अथक प्रयासों की भूमिका सर्वोपरि है। जब दुनिया ने समझी हमारे योग की महत्ता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के अथक प्रयासों का ही नतीजा है कि 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के तौर पर मनाने का अनुमोदन किया गया। 193 सदस्यों वाली संस्था संयुक्त राष्ट्र महासभा में 177 सह समर्थक देशों की रिकॉर्ड सर्वसम्मति प्राप्त हुई। अपने प्रस्ताव में संयुक्त राष्ट्र महासभा नेस्वीकार किया- “योग स्वास्थ्य और कल्याण हेतु एक समग्र दृष्टिकोण प्रदान करने के साथ जीवन के सभी क्षेत्रों में सामंजस्य स्थापित करता है इसलिए विश्व की आबादी में स्वास्थ्य के लिए योग अभ्यास के लाभों की जानकारी का व्यापक प्रसार फायदेमंद होगा।” इसी के साथ भारत में समग्र स्वास्थ्य क्रांति के एक नए युग का सूत्रपात हुआ, जो उपचार से ज्यादा रोकथाम के सिद्धांत पर आधारित है। 21 जून 2015 को राजपथ पर पहले अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का आयोजन हुआ। इसमें दो गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बने। इनमें से एक योग का सबसे बड़ा सत्र था जिसमें 35,985 प्रतिभागी शामिल थे। दूसरा रिकॉर्ड 84 देशों के प्रतिभागियों के साथ एक ही योग सत्र में सम्मिलित होने का था। तब से अंतरराष्ट्रीय योग दिवस समारोह को विश्व भर में ख्याति प्राप्त हुई और नए उत्साही लोग स्वास्थ्य के इस प्राचीन वरदान को साल दर साल अधिक संख्या में अपना रहे हैं। इस वर्ष 21 जून को देश सातवां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मना रहा है, तब कोविड महामारी एक नए रूप में देश के सामने है, जिसे पहली लहर की तरह ही परास्त करने की कोशिशें जारी है। लेकिन इस लड़ाई में सरकार के प्रयासों और वैक्सीन-दवाई आदि के अलावा योग बचाव का सशक्त माध्यम है। जिसका जिक्र भारत की सदियों पुरानी संस्कृति और सभ्यता में समाहित है।
आजादी के दो दशक बाद 1970 में कानून के जरिए आयुर्वेद, यूनानी, सिद्ध के चिकित्सकों को कानूनी संरक्षण मिला। पहली बार 1995 में इसे अलग विभाग बनाया गया और 2003 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के समय इसे आयुष नाम दिया गया। लेकिन 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने आयुष का अलग मंत्रालय बनाकर आयुर्वेद और योग को विश्व स्तर पर नई पहचान दिलाने का जिम्मा उठाया। प्रधानमंत्री मोदी ने 27 सितंबर 2014 को योग को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने की पहल संयुक्त राष्ट्र के मंच से की और 21 जून को हर साल अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने का संकल्प सर्वसम्मति सेस्वीकार कर लिया।
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7वां अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस कुछ इस तरह से मनाया जाएगा । जानिए क्या खास है इस बार योग दिवस पर ।
भारत सहित दुनिया भर में 21 जून को योग दिवस धूमधाम से मनाया जाता है. 21 जून का दिन साल का 365 दिन में सबसे लंबा दिन होता है और योग के निरंतर अभ्यास से व्यक्ति को लंबा जीवन मिलता है इसलिए इस दिन को योग दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया गया ।
हर साल योग दिवस अलग - अलग थीम के आधार पर मनाया जाता है. इस साल की थीम है 'बी विद योग, बी, एट होम' (Be With Yoga, Be at Home) होगी यानी 'योग के साथ रहें, घर पर रहें'। पिछले साल 2020 की थीम थी- 'घर में रहकर योग करें.'
COVID 19 के लिए योग अभ्यासकर्ताओं के लिए दिशानिर्देश
योग एक अत्यंत सूक्ष्म विज्ञान पर आधारित अनुशासन है, जो मन और शरीर के बीच सामंजस्य लाने पर केंद्रित है। यह स्वस्थ जीवन जीने की कला और विज्ञान है। योग मन और शरीर, मनुष्य और प्रकृति, व्यक्तिगत चेतना और सार्वभौमिक चेतना के बीच पूर्ण सामंजस्य की ओर ले जाता है। योग मनो-शारीरिक स्वास्थ्य, भावनात्मक सामंजस्य बनाने में मदद करता है; और दैनिक तनाव और उसके परिणामों का प्रबंधन करें। योग उन स्थितियों में भी उपयोगी है जहां तनाव को एक भूमिका निभाने के लिए माना जाता है । विभिन्न योगाभ्यास जैसे योगासन, प्राणायाम, ध्यान (ध्यान) ।
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पोस्ट COVID प्रबंधन प्रोटोकॉल
COVID-19 SARS-CoV-2 के कारण होने वाली बीमारी अपेक्षाकृत एक नई बीमारी है, जिसमें बीमारी के प्राकृतिक इतिहास के बारे में गतिशील आधार पर ताजा जानकारी जानी जाती है, विशेष रूप से ठीक होने के बाद की घटनाओं के संदर्भ में।
तीव्र COVID-19 बीमारी के बाद, बरामद रोगी थकान, शरीर में दर्द, खांसी, गले में खराश, सांस लेने में कठिनाई आदि सहित विभिन्न प्रकार के लक्षणों और लक्षणों की रिपोर्ट करना जारी रख सकते हैं। अभी तक COVID के बाद के सीक्वेल और आगे के सीमित प्रमाण हैं। अनुसंधान की आवश्यकता है और इसे सक्रिय रूप से आगे बढ़ाया जा रहा है। COVID से ठीक होने वाले सभी रोगियों की अनुवर्ती देखभाल और भलाई के लिए एक समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता है।
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COVID 19 के लिए प्राकृतिक चिकित्सा चिकित्सकों के लिए दिशानिर्देश
यह दिशानिर्देश दस्तावेज़ प्राकृतिक चिकित्सा चिकित्सकों के लिए हमारी आबादी में प्रतिरक्षा में सुधार के लिए योग चिकित्सा, प्राकृतिक चिकित्सा उपचार के तौर-तरीकों, पोषण, आहार और जीवन शैली के दृष्टिकोण प्रदान करने के लिए है। शोध से पता चला है कि फ्लू महामारी के दौरान संक्रमण के प्रति संवेदनशीलता में विविधता होती है। मनोवैज्ञानिक तनाव, फिटनेस और शारीरिक गतिविधि, पोषण, नींद, कॉमरेड स्थितियां और जीवनशैली इस प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। प्राकृतिक चिकित्सा जीवन शैली दवा की एक प्रणाली है जो इन कारकों को संशोधित करने में काम करती है जो शरीर के जन्मजात उपचार गुणों यानी प्रतिरक्षा में सुधार करते हैं।
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कोविड-19 के प्रबंधन के लिए आयुर्वेद और योग पर आधारित राष्ट्रीय नैदानिक प्रबंधन प्रोटोकॉल
COVID-19 महामारी ने एक अभूतपूर्व सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल को जन्म देते हुए एक वैश्विक स्वास्थ्य संकट पैदा कर दिया है। दुनियाभर में रोजाना मरने वालों और संक्रमित होने वालों की संख्या में इजाफा हो रहा है। कई सामाजिक और आर्थिक कारकों के कारण संभावित विनाशकारी स्थितियों के कारण यह स्थिति बहुत अधिक गंभीर है। इस संक्रमण से निपटने के लिए प्रभावी प्रबंधन अभी भी विकसित हो रहा है और देखभाल के मानक के साथ पारंपरिक हस्तक्षेपों को एकीकृत करने का प्रयास किया जा रहा है।
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Yoga Calendar 2021
साल भर चलने वाला योग कैलेंडर एक ही स्थान पर विभिन्न योग संस्थानों के योग कार्यक्रम प्रस्तुत करता है। योग से प्रेरित यह कैलेंडर नागरिकों को योग को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाने और उनके शरीर को स्वस्थ और मन को शांत रखने में मदद करेगा।
ईवेंट कैलेंडर ऑफ़लाइन और ऑनलाइन योग और योग से संबंधित घटनाओं दोनों को सूचीबद्ध करता है। कार्यक्रम दैनिक, साप्ताहिक, मासिक और वार्षिक आधार पर उपलब्ध हैं। आप उसके अनुसार दिनचर्या का पता लगा सकते हैं और उसे अपना सकते हैं। योग एक प्रक्रिया पर आधारित अभ्यास है। इसलिए, आप जितने अधिक नियमित होंगे, उतना ही बेहतर प्रभाव आप महसूस करेंगे। ये घटनाएँ आपको एक स्थायी और नियमित योग अभ्यास की ओर ले जाती हैं।
योग पोर्टल का कार्यक्रम कैलेंडर नागरिकों को निम्नलिखित आयोजनों के साथ योग प्रथाओं को अपनाने में मदद करता है:
विश्व ध्यान दिवस।
विश्व मातृ मानसिक स्वास्थ्य दिवस।
अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस।
अधिकारियों के लिए योग युक्तियाँ।
विश्व उच्च रक्तचाप दिवस।
योग और ध्यान के माध्यम से युवा मन का पोषण और प्रेरणा।
कैलेंडर लोगों को अपने संपूर्ण स्वास्थ्य का प्रबंधन करके विभिन्न स्वास्थ्य मुद्दों पर नज़र रखने की अनुमति देता है।
प्रसिद्ध संस्थानों के योग सब नागरिकों के लिए प्रभावशाली हैं। सर्वोत्तम शिक्षाओं वाले लोगों की सेवा करने के लिए, साल भर योग ने प्रमुख संस्थानों को जोड़ा है, जिनमें शामिल हैं:
योग और प्राकृतिक चिकित्सा में अनुसंधान के लिए केंद्रीय परिषद
मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान (MDNIY)
देव संस्कृति विश्वविद्यालय
हार्टफुलनेस संस्थान
कैवल्यधाम:
कृष्णमाचार्य योग मंदिरम
राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा संस्थान
Patanjali Yogpeeth
योग कल्याण केंद्र
योग संस्थान
जीवन जीने की कला
इवेंट कैलेंडर में शामिल सभी संस्थानों ने वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बनाई है।इन्होंने दुनिया भर में शास्त्रीय और आधुनिक योग मुद्राओं दोनों के लिए एक उदाहरण स्थापित किया है। योग महापुरूषों के साथ आज और कल के लिए अपने आसन सीखें, सही करें और बनाए रखें।
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